
कहते हैं न कि जो जिसके लिए खड्ढा खोदता है। वो उसमे स्वयं ढकेल दिया जाता है। आज की तारीख में यह कहावत चीन की स्थिति पर बिल्कुल चरितार्थ होती हुई साबित हो रही है। जी हां..सरल शब्दों मे ही सही..लेकिन आप चाहे तो इसे सहज स्वीकार कर सकते हैं कि चीन भारत के लिए पूरी शिद्दत से एक गड्ढा खोद रहा था, ताकि भारत को उसमे धकेले, लेकिन वक्त ने ऐसी पलटी मारी की वो (चीन) इसमें खुद धकेल दिया गया। इससे तो आप कतई अनिभिज्ञ नहीं होंगे कि भारत और रूस के बीच रिश्ते कितने मधुर रहे हैं। अतीत की बेशुमार ऐसी इबारते हैं, जो इन दोनों मुल्कों की मुधरता की बानगी पेश करती है, मगर हर मसले में बेसबब हस्तक्षेप कर अपनी गैरजरूरी सक्रियता का परिचय देने वाला चीन पिछले कुछ दिनों में इस कोशिश में था कि कैसे भी करके दोनों ही देशों के रिश्तों में खटास पैदा की जा सके। इसके लिए ड्रैगन ने पुरजोर कोशिश की। कभी अपनी विदेश नीति का इस्तेमाल किया तो कभी अपनी सरकारी मीडिया का, लेकिन अंत में उसके हाथ असफलता ही लगी।
बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी को क्रिसमस व नए वर्ष की बहुत- बहुत शुभकामनाएं दी है। पुतिन ने कहा कि महामारी जैसे चुनौतिपूर्ण दौर में दोनों ही देश अपने रिश्ते को मधुर बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ही देश अभी-भी अपनी विभिन्न परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों ही देश हर मसले को लेकर प्रतिबद्ध हैं। विदित हो कि विगत दिनों भारत और रूस के बीच होने जा रहा शिखऱ सम्मेलन रद्द हो गया था, जिसको आधार बनाकर चीन ने दोनों ही देशों के रिश्तों में जहर घोलने का काम किया था, लेकिन अंत में उसके हाथ क्या लगा। इसका अंदाजा आप रूस के राष्ट्रपति के बयान को पढ़कर सहज ही लगा सकते हैं।