
महज…एक मुलाकात मगर चर्चा बेशुमार..संकेतों की बौछार.. बयानों की बयार…लेकिन हर बार की तरह इस बार भी खामोशी के साथ रूखसत हो जाना…आखिर कब तक रहेगा यह सिलसिला जारी…यह तो फिलहाल दादा ही बता पाएंगे.. जी हां..हर बार अपने हर एक मुलाकात से सत्ता के गलियारों में चर्चा के बाजार को गरम कर जाना भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली उर्फ दादा बखूबी जानते हैं। पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़.. फिर केंद्रीय गृृह मंत्री अमित शाह और अब माकपा के जाने माने नेता अशोक भट्टाचार्या से उनकी मुलाकात को लेकर बहस छिड़ चुकी है। इन मुलाकातों के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। मगर जब कोई दादा से जाकर इस बारे में कुछ पूछता है तो वो खामोशी के साथ रूखसत हो जाते हैं। हालात अब ऐसे बन चुके हैं कि लोग उनकी खामोशी के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।
वहीं उन्होंने सौरव गांगुली के राजनीति में आने को लेकर कहा कि वे एक अच्छे व्यक्ति हैं। देश व समाज में उनका एक अलग व्यक्तित्व है। लिहाजा, उनका राजनीति में आना ठीक नहीं रहेगा। बहरहाल, भट्टाचार्य के इन वक्तव्यों पर दादा कितने खरे उतर पाते हैं। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। बता दें कि इससे पहले जब सौरव गांगुली दिल्ली के अरूण जेटली स्टेडियम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संग मच साझा करते हुए दिखे थे, तब भी इस तरह की बहस छिड़ी थी, लेकिन उस वक्त उन्होंने यह कहकर साफ कर दिया कि वे यहां महज बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में शिरकत करने पहुंचे हैं। इसके इतर उनका कोई और कोई ध्येय नहीं है।