नई दिल्ली। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन करीब-करीब खत्म होने ही वाला था कि, गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत के भावुक वीडियो ने पूरा समीकरण ही बदल दिया और आंदोलन में एक बार फिर जान फूंक दी। जिसके बाद सरकार को भी दो कदम पीछे हटना पड़ा है। वहीं समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ा है। अन्ना ने ऐलान किया है कि, वो किसानों के समर्थन में आमरण अनशन शुरू करेंगे। उनका ये अनशन 30 जनवरी से यानी बापू की पुण्यतिथि के दिन से शुरू होगा।
केंद्र सरकार ये जानती है कि, अन्ना हजारे के आमरण अनशन शुरू करने बाद उस दबाव काफी बढ़ जाएगा। यही वजह है कि, सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी रालेगण सिद्धि अन्ना को मानाने जा रहे हैं। अन्ना का कहना है कि, उन्होंने 2018 में केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दी जाएं, लेकिन अब तक ऐसा हुआ नहीं। यही वजह यही कि, उन्हें अब मजबूरन आमरण अनशन करना पड़ेगा। ये अनशन वो रालेगण सिद्धि स्थित यादव बाबा मंदिर में करेंगे।
अन्ना हजारे को मानने में सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, महाराष्ट्र के वरिष्ठ बीजेपी नेता भी लगे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरीभाऊ बागडे, राधाकृष्ण विखे पाटिल, सांसद सुजय विखे पाटिल सहित कई नेता अन्ना से मुलाकात कर चुकें हैं, लेकिन बातचीत के बाद भी कोई हल निकला नहीं। MSP और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए अन्ना हजारे अड़े हुए हैं।
अब जब राज्य के बीजेपी नेता उन्हें नहीं माना पाए है तो केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरीआज अन्ना से मुलाकात करेंगे। दिल्ली में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने देवेंद्र फडणवीस और गिरीश महाजन से मुलाकात कर एक ड्राफ्ट तैयार किया। जो अन्ना को दिया जा चुका है, जिसकी कमियों को अन्ना अब जानकारी देंगे। अगर सरकार उनकी बातों को मान जाती है तो अन्ना अनशन नहीं करेंगे।