बता दें कि चीनी सरकार ने बीती 30 दिसंबर को चीनी कंपनी China National Biotec Group (Sinopharm) द्वारा विकसित की गयी Sinovac वैक्सीन को आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार Vaccine की efficacy को 79.34 प्रतिशत आंका गया था। हालांकि, दुनियाभर के एक्सपर्ट्स चीनी Vaccine के ट्रायल्स से जुड़े डेटा में पारदर्शिता न बरतने के आरोप लगा रहे हैं। अब चीनी एक्सपर्ट Tao Lina के दावों ने चीनी वैक्सीन की पोल खोलकर रख दी है। उन्होंने अपने Weibo अकाउंट पर लिखा “मैंने एक लंबी सांस ली, और सभी side effects की लंबी सूची को गौर से देखा। Manual में 73 side effects को अंकित किया गया था। Tao Lina के अनुसार इस वैक्सीन को लगाने के बाद “रोशनी का जाना, स्वाद चखने की क्षमता कम होना, सरदर्द, हाई BP, Menstruation Cycle में गड़बड़ी और कई प्रकार के infection” जैसे दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं, जो वाकई खतरनाक हैं।
चीनी सरकार दुनियाभर में वैक्सीन डिप्लोमेसी को आगे बढ़ाने के लिए आनन-फानन में अपनी वैक्सीन को मंजूरी दे चुकी है। हालांकि, इसके साथ ही चीनी सरकार ने सुनियोजित तरीके से यह सुनिश्चित किया है कि बाद में अगर side effects के कारण किसी व्यक्ति को कोई क्षति पहुँचती है, तो इसके लिए चीनी Vaccine निर्माताओं को कोई नुकसान ना झेलना पड़े! चीनी सरकार वैक्सीन के manual में सभी side effects को अंकित कर रही है, और इसके बाद चीनी लोगों को अपने रिस्क पर Vaccine लगवाने के लिए ही कहा जा रहा है। ज़ाहिर सी बात है कि Tao Lina का इस प्रकार social media पर आकर चीनी वैक्सीन की बुराई करना चीनी सरकार को अच्छा नहीं लगा और इसके तुरंत बाद ही उनके Weibo अकाउंट को deactivate कर दिया गया।
इससे एक बार फ़िर साफ़ हो गया है कि चीन के लोगों में ही चीन की वैक्सीन के प्रति विश्वास की भारी कमी है। इससे पहले नवंबर में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि चीन के करीब 90 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स चीनी वैक्सीन को लेकर उत्साहित नहीं हैं। इस सर्वेक्षण के अनुसार शंघाई के एक स्थानीय अस्पताल में केवल 10 प्रतिशत श्रमिकों ने COVID -19 के लिए किसी चीनी Vaccine से टीकाकरण करवाने की इच्छा व्यक्त की थी। शेष 90 प्रतिशत ने किसी भी चीनी Vaccine को अक्षम और घोटालेबाज वैक्सीन उद्योग पर विश्वास की कमी के कारण नकार दिया था।
चीनी वैक्सीन के डेटा को लेकर बड़े पैमाने पर की जा रही धांधली इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। चीनी सरकार ने बेशक अपनी वैक्सीन की efficacy को 79.34 प्रतिशत बताया हो, लेकिन हाल ही में जब ब्राज़ील में Sinovac के ट्रायल्स किए गए, तो वहाँ इस वैक्सीन की efficacy को मात्र 50 प्रतिशत से थोड़ा ज़्यादा आंका गया। इस वैक्सीन के अंतिम ट्रायल के नतीजों को दिसंबर महीने की शुरुआत में ही सार्वजनिक किया जाना था, लेकिन इसे अब तक तीन बार टाल दिया गया है। ऐसे में इस बात का संदेह और बढ़ जाता है कि चीन की वैक्सीन को लेकर दाल में कुछ तो काला है। शायद यही कारण है कि अब ब्राज़ील ने चीन को छोड़कर भारत से अपनी वैक्सीन लेने की इच्छा ज़ाहिर की है।
अब चीनी एक्सपर्ट के दावों के बाद इस बात की आशंका और बढ़ गयी है कि चीनी वैक्सीन शायद इन्सानों के इस्तेमाल के लायक बनाई ही ना गयी हो! हालांकि, इसके बावजूद इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे गरीब देश चीनी Vaccine पर ही अपनी उम्मीद टिकाये हुए हैं। अब यह आपको तय करना है कि चीन से निकला वायरस ज़्यादा ख़तरनाक था, या चीन से निकली वैक्सीन ज़्यादा ख़तरनाक है!