अभी हाल ही में Capitol Hill के प्रकरण पे ट्विटर ने ‘एक्शन’ लेते हुए डोनाल्ड ट्रम्प के ट्विटर अकाउंट को पहले कुछ समय के लिए निलंबित किया और फिर उसे हमेशा के लिए निरस्त कर दिया।
इस पर डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट करते हुए कहा, “मैं बहुत लंबे समय से कह रहा हूँ कि ट्विटर ने फ्री स्पीच प्रतिबंधित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और आज रात तो उन्होंने डेमोक्रेट्स और वामपंथियों के साथ मिलकर मेरे अकाउंट को हटा दिया ताकि मेरे और मेरा जैसे 7.5 करोड़ देशभक्तों का मुंह हमेशा हमेशा के लिए बंद कर सके।”
लेकिन ट्विटर को यह बात इतनी नागवार गुजरी की उन ट्वीट्स को कुछ ही घंटों में राष्ट्रपति के अकाउंट से हटा लिया गया।अपने आप को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का रक्षक बताने में जो ट्विटर कोई कसर नहीं छोड़ता था, उसने अपने ही हाथों से इसका गला घोंटते हुए डोनाल्ड ट्रम्प के अकाउंट और उससे जुड़े अन्य अकाउंट को इसलिए हटाया गया, क्योंकि वे उनके वामपंथी विचारों से मेल नहीं खा रहे थे।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ट्विटर अपने वामपंथी स्वभाव के लिए विश्व भर में बदनाम रहा है। जब कंपनी के सीईओ भारत में ब्राह्मण समुदाय के विरुद्ध विष फैलाते पोस्टर्स को बड़े गर्व से उठाते फिरते हों, तो आप भली भांति समझ सकते हैं कि ट्विटर वास्तव में कितना निष्पक्ष है ।लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ट्विटर इस कदम से एकदम निरंकुश हो जाएगा। अति सर्वत्र वर्जयते, यानि किसी भी चीज की अति विनाशक होती है, और ट्विटर का यह पक्षपात आगे चलकर उसी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
जिन ‘आकाओं’ की रक्षा के लिए ट्विटर ने यह कदम उठाया है, उससे स्पष्ट होता है कि ट्विटर ने दक्षिणपंथी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ने के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है।