CCP के तीन ज़ीरो नीति के बारे में सूचित करते हुए TFI ने बताया था कि किस प्रकार से चीन में कोयले की किल्लत के कारण चीन वासियों को बिजली के संकट से जूझना पड़ रहा है। हालांकि, चीन की यह तीन ज़ीरो नीति कोयले की खपत को नियंत्रित करने के लिए 3 वर्ष पहले लॉन्च हुई थी, जिसके अनुसार चीन में ना कोयले की खपत ज़्यादा हो, ना बिजली बर्बाद हो (क्योंकि देश की अधिकतम बिजली कोयले से ही उत्पन्न होती है) और ना ही अन्य fossil fuel का बेजा इस्तेमाल हो। लेकिन वर्तमान गतिविधियों को देखते हुए इसका असर नगण्य दिखा है –
लेकिन यही चिंताजनक बात नहीं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन का बिजली संकट इस स्तर पर पहुंच चुका है कि अब कुछ पावर प्लांट्स ठप किए जा सकते हैं, क्योंकि जब देश की 65 प्रतिशत से भी अधिक बिजली कोयले से आती है, तो फिर कोयले की बढ़ती कीमत से जनता को नुक़सान होना ही है। इतना ही नहीं, चीनी सरकार को कई जगह से कोयले की खपत रोकने के लिए हीटिंग फैसिलिटी भी जब्त करनी पड़ रही है।
स्थानीय मीडिया ने इसका ठीकरा कोयले के बढ़ते दामों पर फोड़ा है, जो पूरी तरह गलत भी नहीं है, लेकिन CCP यह कदापि नहीं स्वीकारेगी कि ऑस्ट्रेलिया से आने वाले कोकिंग कोयले पर प्रतिबंध लगाने के कारण ये सब हुआ है। अब कोकिंग कोयले पर प्रतिबंध से जितना कोयले के दाम बढ़ेंगे, उतना ही चीन में बिजली की किल्लत बढ़ेगी।
लेकिन प्रशासन की सनक अब भी कम नहीं हो रही है। उनका कहना है कि हीटर तभी खोले जाएं जब तापमान शून्य से नीचे हो। यहां तक कि चीन में स्ट्रीट लाइट भी अनवरत नहीं जल पा रही है, क्योंकि वुहान वायरस पर चीन की जवाबदेही मांगने के लिए ऑस्ट्रेलिया से आयातित Coking Coal के प्रतिबंध के कारण ही बिजली संकट बद से बदतर होती जा रही है और चीन ऑस्ट्रेलिया पर से अपने प्रतिबंध हटाने से रहा –
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि CCP की सनक के कारण अब चीन के निवासियों को ठंड में ठिठुरने पर विवश होना पड़ रहा है, और चीनी प्रशासन आश्वासन देने के बजाए उन्ही के संसाधन जब्त कर रही है।