गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के दौरान किसानों का चोला पहनकर आए दंगाइयों ने जमकर हिंसा की. लाल किले की पवित्रता को तार-तार किया. खालिस्तानियों से मिलता-जुलता झंडा फहराकर तिरंगे का अपमान किया. आरोप लगा कि ये लोग खालिस्तानी थे क्योंकि इस तरह का कृत्य केवल खालिस्तानी ही कर सकते हैं. हिन्दुस्तान का किसान हिंसक नहीं हो सकता. इसके बाद से मोदी सरकार पूरी तरह से सतर्कता बरतती दिख रही है. सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन को लेकर नजर रखी जा रही है, ताकि इसकी आड़ में कोई साजिश न रची जाए. इसी क्रम में सरकार ने ट्विटर को नोटिस जारी किया है. इसमें सरकार ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट से कहा है कि वह 1178 अकाउंट को ब्लॉक करे. सरकार के अनुसार इन सभी अकाउंट का संबंध खालिस्तान या फिर पाकिस्तान से है.
बता दें कि इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में ट्विटर को निर्देश दिया था कि वह ऐसे 257 अकाउंट को बंद करे जो 30 जनवरी को ऐसे ‘गलत, धमकाने वाले और भड़काने वाले ट्वीट्स’ साझा कर रहे थे जिनमें हैशटैग के साथ भड़काऊ बातें थीं.
सूत्रों ने कहा कि ट्विटर के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत जारी निर्देशों का पालन करना बाध्य है. गृह मंत्रालय और अन्य सुरक्षा एजेंसियों से सलाह लेने के बाद हाल ही में आईटी मंत्रालय की ओर से ट्विटर से इन अकाउंट को बंद करने को कहा गया है. लेकिन ट्विटर ने अभी तक मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सूत्रों का कहना है कि ट्विटर से जिन अकाउंट को बंद करने के लिए कहा गया है उनमें से कई खालिस्तानी समर्थकों के हैं. साथ ही कई अकाउंट्स को पाकिस्तान का सहयोग मिल रहा है. ये सभी विदेश से संचालित हो रहे हैं. इनमें से अधिकांश को इंटरनेट बॉट की मदद से चलाए जा रहे हैं ताकि किसान आंदोलन को लेकर दुष्प्रचार किया जा सके और गलत सूचनाएं फैलाई जा सकें.
सूत्रों ने कहा कि ट्विटर एक ‘मध्यस्थ’ है और वह सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिये बाध्य है. उन्होंने कहा कि सरकारी आदेशों का अनुपालन न करने पर ट्विटर को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर ट्विटर इन आदेशों का पालन नहीं करता है तो उसके अफसरों को सात साल तक की कैद और कंपनी को भारी जुर्माना अदा करना पड़ सकता है.