दिल्ली जल बोर्ड ने पूर्व सैनिक को ढाई साल का बिल 40 हजार रुपए भेजा


नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड का बिलिंग सिस्टम इतना खराब है कि नियमित बिल लोगों के पास नहीं भेजे जा रहे हैं. हर महीने बिल भेजने की बजाए 2 से 3 सालों का बिल इकट्ठा भेजा जा रहा है. दक्षिणपुरी निवासी पूर्व सैनिक महावीर सिंह को ढाई साल का बिल जल बोर्ड की तरफ से एक साथ लगभग 40 हजार रुपये भेजा गया है. एक साथ इतना बिल देखकर महावीर सिंह घबरा गए हैं. अगर यही बिल हर महीने आता तो इतना इकट्ठे बिल एक साथ इतनी बड़ी रकम जमा नहीं होती. लगभग 40 हजार रुपये बिल का भुगतान करना महावीर सिंह के लिए भारी पड़ रहा है.

700 लीटर मुफ्त पानी का भी बिल जोड़ाअगर इसे दूसरे तरीके से देखें तो दिल्ली जल बोर्ड की चालाकी समझ में आयेगी. दिल्ली सरकार हर दिन एक परिवार को 700 लीटर पानी मुफ्त में देती है. अगर इससे ज्यादा हो तभी उसका बिल भेजा जाता है. हैरानी की बात यह है कि महावीर सिंह दक्षिणपुरी में अपने 25 गज के मकान में रहते हैं. इनके मकान में हर रोज 700 लीटर पानी की खपत भी नहीं है. अगर कायदे से देखा जाए तो इनका बिल लगभग शून्य होना चहिये. लेकिन जल बोर्ड ने चालाकी कर एक साथ ढाई साल का बिल 40 हजार रुपये भेजे ताकि लोग यह समझें कि यह एक या 2 महीने का बिल नहीं है, बल्कि ढाई साल का बिल है.

पूर्व सैनिक को भेजा 40 हजार का पानी बिल
ढाई साल का बिल एक साथ


महावीर सिंह को पहले भी भेजे गए हैं एकसाथ बिल
महावीर सिंह के साथ पहली बार ऐसा नहीं हुआ है. इसके पहले भी उन्हें इकट्ठा ही बिल भेजा जाता रहा है. लगभग ढाई साल पहले उनके नाम से 7500 रुपये का पानी का बिल आया. जिसे उन्होंने किसी तरह से भर दिया, लेकिन उसके बाद नियमित बिल कभी नहीं भेजा गया. ढाई साल के बाद अब उन्हें ₹38,754 का बिल आया है.

बिल के रिव्यू के लिए लगा चुके हैं कई चक्कर
इस संबंध में महावीर सिंह ने 19 नवंबर 2020 को दिल्ली जल बोर्ड में शिकायत भी की थी. इसमें उन्होंने कहा था कि 5 मार्च 2018 का बिल उन्होंने भर दिया है. नवंबर 2020 में ढाई साल का इकट्ठे 38,754 रुपये का बिल भेजा गया है. महावीर सिंह ने बताया कि वह आर्मी से रिटायर हुए हैं. लॉक डाउन की वजह से उनकी हालत काफी खराब हो गई है. इस बिल को लेकर एक बार जांच करने की अपील उन्होंने की है.

अपनी गलती की सजा लोगों को दे रहा जल बोर्ड

महावीर सिंह का कहना है कि उनके घर में जल बोर्ड का मीटर लगा हुआ है. लेकिन ढाई साल में एक बार भी मीटर रीडिंग नहीं की गई जबकि कायदे से हर महीने मीटर रीडिंग होनी चाहिए थी. जल बोर्ड की तरफ से उन्हें बताया गया कि उनके मीटर में जितने यूनिट तक पानी का इस्तेमाल हुआ है उसका बिल का भुगतान उन्हें करना पड़ेगा.

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