ये है पक्की यारी एक नेत्रहीन, दूसरा पैरों से विकलांग, कलेक्टर से बोले- ‘कर लेंगे सामूहिक आत्महत्या’ पर क्यों


इस खबर को इंसानियत की नज़र से देखियेगा, और समझियेगा. और दिल को अच्छी लगे तो शेयर ज़रूर कीजियेगा. क्यूंकि ये कहानी किसी राजनीति से नहीं जुडी. जी हाँ बचपन में आपने दो दोस्तों की एक कहानी सुनी होगी जिसमे एक अंधा था. और दूसरा पैरों से विकलांग था. दोनों एक दुसरे की हमेशा मदद करते थे. इन दोनों की मित्रता की कहानी हम सबने पढ़ी है. इसलिए आगे बताने की जरूरत नहीं है. पर जो खबर मध्य प्रदेश से सामने आई है वो बिलकुल सच है और इस कहानी को जीवंत कर देती है. जी हाँ अभी तक लोग जय वीरू की दोस्ती की दुहाई दिया करते थे. पर इन दोनों की दोस्ती देखकर आप भी चौंक जाएंगे.

आप ये तस्वीर देखिये. ये बिलकुल पक्के मित्र है. पर आज ये दोनों दोस्त मरने की बात कर रहे हैं. दोनों ने साथ में मिलकर आत्महत्या करने की बात कही. पर क्यों, जो दोस्त एक दुसरे के साथ जीने की कसमें खाते थे. आज वो मरने की बात क्यों कर रहे हैं. ये कहानी सुनकर आप ही चौंक जाएंगे. दरअसल दोस्ती की ये कहानी है प्रदेश के खरगोन की. जहां दो दोस्त एक दूजे का हाथ पकड़कर कलेक्ट्रेट पहुंचे.

कसरावद विकासखंड के पीपलगोन के रहने वाले दोनों युवक अच्छे मिल हैं. और कमाल की बात ये है की दोनों दोस्तों का नाम सुनील है. एक सुनील नेत्रहीन है, जबकि उसका दोस्त सुनील गांगले पैर से दिव्यांग है. नेत्रहीन होने के कारण सुनील कलेक्टर कार्यालय नहीं पहुंच सकता था, इसलिए पैर से दिव्यांग उसका दोस्त उसकी आंखें बनकर, उसके मुसीबत की लाठी बनकर, उसे कलेक्ट्रेट ऑफिस तक लेकर आया.

दरअसल मामला ये है कि अब इन दोनों का घर टूटने वाला है. और ये दोनों बेहद ही गरीब है. हाल ये है कि नेत्रहीन सुनील की मां अर्धविक्षिप्त हैं. उसका भाई बहरा है. तीनों एक छोटे से झोपड़े में रहते हैं. और अब कसरावद तहसीलदार ने झोपड़ा तोड़ने का नोटिस सुनील को थमा दिया. ऐसे में इनको भविष्य का डर सताने लगा है कि शायद अब सर ढकने के लिए छत भी न रहे. और ऐसे में किसी की क्या हालत होगी. वो आप सोच भी नहीं सकते, इसलिए दोनों दिव्यांग मित्र सुनील खरगोन कलेक्टर के मदद मांगने पहुंचे थे.

सुनील ने बताया कि वे 1997 से गांव में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. जिसका पट्टा पिता नानूराम के नाम से पंचायत द्वारा दिया गया है. अब प्रशासन ने नोटिस थमा दिया है. जिसमें झोपड़ी तोड़ने की बात कही गई है. सुनील का कहना है कि प्रशासन या तो अन्य जगह जमीन दे या रहने का साधन दें. अगर हमारा झोपड़ा टूटा तो हम तीनों सामूहिक आत्म हत्या कर लेंगे. सुनील ने बताया कि मैं, मां और भाई दिव्यांग हैं. और भीख मांग कर ही गुजारा होता है.

पैरों से अपाहिज सुनील का कहना है कि उसका दोस्त सुनील और वो हमेशा साथ में रहते हैं. जब भी जरूरत होती है तो सुनील मेरा साथ देता है और जब सुनील को जरूरत होती है तो मैं उसका साथ देता हूं. पर आज दोनों मित्र चिंता में डूबे है. अब देखना होगा की जब ये खबर मामा तक पहुंचेगी तो वो क्या फैसला लेंगे. और कलेक्टर साहब क्या फैसला लेते हैं. क्या उनके अंदर की इंसानियत अभी बाकी है. जी हाँ ये खबर आपको अच्छी लगे तो शेयर जरूर कीजिये.

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