पटना: बिहार में तमाम कयासों के बीच अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. नीतीश की अगुवाई में एनडीए की सरकार बने दो महीने से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर घटक दलों में बात नहीं बन पाई है.
पहले कहा जा रहा था कि खरमास गुजरने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा, लेकिन खरमास गए भी करीब 15 दिन से अधिक गुजर गए. लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार रास्ता साफ नहीं हो पाया है.
भाजपा विधायकों के अनुपात में मंत्रिमंडल का बंटवारा चाहती है, तो जदयू 50-50 के फॉर्मूले पर कायम है. बिहार विधानसभा में अगर अंकगणित की बात कर ली जाए, तो 3.5 एमएलए पर एक मंत्री की जगह बनती है और इस हिसाब से भाजपा के 21 मंत्री होते हैं और जदयू कोटे में 13 मंत्री पद जाते हैं. एक सीट मुकेश साहनी की पार्टी और एक सीट जीतन राम मांझी की पार्टी के हिस्से जाता है. इसके अलावा भाजपा ने बोर्ड निगम कारपोरेशन के लिए भी मार्च तक की मियाद तय कर रखी है और 60% पर अपना दावा पेश किया है. लेकिन यहां भी जदयू आधी हिस्सेदारी चाहती है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जदयू की हिस्सेदारी को लेकर बिहार से बाहर भी पेंच फंसा है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि जिस अनुपात में केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार भाजपा के नेताओं को शामिल किया गया है. उसी अनुपात में जदयू के नेताओं को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए, क्योंकि दोनों की सीटें लगभग बराबर है. जदयू नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की मांग भी करने लगे हैं.