सुनना है तो अभी ‘सुन’ लीजिए नहीं तो 2050 में यह होगी दुनिया की तस्वीर


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दिल्ली। दुनिया की एक चौथाई आबादी 30 साल बाद बहरेपन का शिकार हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2050 तक ऐसा होने की आशंका जतायी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहरेपन को लेकर सावधान किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ऐसी स्थिति में दुनिया को इलाज और शोर से बचने के प्रति जागरूकता पर अधिक निवेश करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्फेक्शन, बीमारियों, जन्मजात समस्याओं, ध्वनि प्रदूषण और लाइफस्टाइल की खामियों के कारण बहरेपन की परेशानी बढ़ने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में उपायों के सुझाव के साथ प्रति व्यक्ति 1.33 डॉलर सालाना का खर्च को बताया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा बहरेपन के कारण दुनिया को प्रत्येक वर्ष खरबों डॉलर खर्च करना पड़ रहा है। बहरेपन को नजरअंदाज करना मुश्किल है। संचार, शिक्षा और रोजगार के सेक्टर में भी बहरापन नुकसान पहुंचाने वाला है।

दुनिया में 20 फीसदी लोग सुनने की क्षमता में कमी की समस्या से प्रभावित हैं। आने वाले तीन दशकों में सुनने की क्षमता में कमी वाले लोगों की संख्या में 1.5 गुना का इजाफा हो सकता है। 2019 में यह आंकड़ा 1.6 बिलियन था जो 2050 में बढ़कर 2.5 बिलियन हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2.5 बिलियन लोगों में से 700 मिलियन लोग ऐसे हो सकते हैं जो सुनने की गंभीर समस्या से पीड़ित होंगे। सुनने की क्षमता की समस्या डेमोग्राफिक और पॉप्युलेशन ट्रेंड के चलते हो सकती है।

लोगों को सावधान होने की जरूरत है। कम आय वाले देशों में देखभाल और आर्थिक संकट ज्यादा समस्या बो बढ़ा रहा है। इलाज के लिए सही पेशेवर डाॅक्टर की कमी भी है। इस तरह कम आय वर्ग वाले देशों में ही सुनने की क्षमता में कमी वाले 80 फीसदी लोग मौजूद हैं जो संकट बढ़ता जा रहा है।


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