CBSE Board में अब नौंवी से 12वीं तक की परीक्षाओं में पूछे जाएंगे ऐसे प्रश्न


नई दिल्ली।
 सीबीएसई (CBSE) के नौंवीं से 12वीं के छात्रों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी CBSE स्कूलों के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। बोर्ड ने स्कूलों को मूल्यांकन परीक्षणों की संरचना में कुछ परिवर्तन करने के लिए कहा है। इसका अर्थ है कि सीबीएसई 9 वीं, 10 वीं, 11 वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में कुछ परिवर्तन करेंगे। बोर्ड का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक है।

बोर्ड ने शैक्षिक सत्र 2021-22 में परीक्षा और मूल्यांकन की प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन कर दिया है। इस बात की जानकारी स्कूलों को दे दी गई है। नए परिवर्तनों के मुताबिक, परीक्षाओं में अब लघु और दीर्घउत्तरीय प्रश्न कम आएंगे। पहले से अब ये प्रश्न 10 फीसदी कम पूछे जाएंगे। इससे पहले नौंवीं और 10वीं की परीक्षा में 70 फीसदी और 11वीं, 12वीं में 60 फीसदी प्रश्न लघु और दीर्घ उत्तरीय पूछे जाते थे।

साथ ही परीक्षा में क्षमता आधारित प्रश्न भी जोड़े जायेंगे। ये प्रश्न वास्तविक जीवन से या फिर अपरिचित परिस्थितियों से जुड़े हुए होंगे। 11वीं और 12वीं की परीक्षा में 20 फीसदी प्रश्न योग्यता आधारित और 20 प्रतिशत ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जायेंगे। इसमें कहा गया है कि योग्यता आधारित प्रश्न भी बहुविकल्पीय, केस बेस्ड, सोर्स बेस्ड इंटीग्रेटेड या किसी अन्य प्रकार के भी हो सकते हैं। 10वीं में योग्यता आधारित प्रश्नों की संख्या कम से कम 30 फीसदी रखी जाएगी। 20 फीसदी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप और शेष 50 फीसदी लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय होंगे।

आपको बता दें कि सीबीएसई ने मार्च में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए सैंपल पेपर और सिलेबस जारी कर दिए थे। जिसे देखकर छात्र योग्यता आधारित प्रश्नों के पैटर्न को पढ़ व समझ सकते हैं। CBSE ने बीते सत्र में कोरोना की वजह से सिलेबस में 30 फीसदी की कटौती कर दी थी। लेकिन अब नए सत्र के सिलेबस में हटाए गए चैप्टर्स भी जोड़ दिया गया है।

सीबीएसई द्वारा नौंवीं से 12वीं तक की परीक्षाओं में योग्यता आधारित प्रश्नों को शामिल किया गया है जिससे छात्रों में समस्या सुलझाने की क्षमता विकसित हो सकेगी। इस बात को नई शिक्षा नीति 2020 में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। बोर्ड के अनुसार मूल्यांकन छात्रों के ज्यादा सीखने और एनालिसिस, क्रिटिकल थिंकिंग कंसेप्चुअल क्लीयरिटी विकास पर केंद्रित होना चाहिए। इससे रटने पर कम जोर दिया जाएगा।

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